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तीन तलाक़ के बाद अब मुस्लिम औरतों का खतना बंद करने की पीएम मोदी से अपील



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सुप्रीम कोर्ट के तीन तलाक़ पर ऐतिहासिक फैसले के बाद मुस्लिम औरतों को सदियों से चली आ रही पुरानी पंरपरा के नाम पर हो रहे उत्पीड़न से छुटकारा मिला है। लेकिन मुसलमान औरतों को तलाक़ के अलावा भी कई तमाम तरह के अत्याचार, शोषण से गुजरना पड़ता है, उनमें से खतना प्रथा भी एक है. खतना प्रथा को समाप्त करने के लिए एक मुस्लिम महिला ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर तीन तलाक़ की तरह इसे भी खत्म करने की गुजारिश की है।


बोहरा समुदाय की मासूमा रोनाल्डो ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम भेजे गए अपने खत में लिखा है कि मैं इस पत्र के जरिए आपका ध्यान Female Genital Mutilation (FGM) या खतना प्रथा जैसी भयानक कुप्रथा की तरफ खींचना चाहती हूँ।  बोहरा समुदाय में वर्षों से जारी ‘खतना प्रथा’ अथवा ‘खफ्ज प्रथा’ का पालन आज भी किया जा रहा है, बोहरा समुदाय के लोग शिया मुस्लिम हैं,जो हिन्दुस्तान के अलग-अलग राज्यों मध्य प्रदेश, गुजरात, राजस्थान और महाराष्ट्र में बसे हुए हैं। जिनकी आबादी लगभग 2 मिलियन है।


मेरे समुदाय में अभी तक छोटी बच्चियों के साथ क्या होता है, जैसे ही किसी बच्ची की उम्र सात साल हो जाती है तो उसकी मां अथवा दादी उसे स्थानीय दाई या डॉक्टर के पास लेकर जाती हैं तथा बच्ची को ये नहीं बताया जाता कि उसे कहां ले जाया जा रहा है या उसके साथ आगे क्या होने वाला है।  वहाँ पर फिर कुछ औरतें छोटी बच्ची के हाथ पैर को पकड़ लेती हैं और उसके भग-शिश्न (clitoris) पर मुल्तानी मिट्टी लगाकर उस हिस्से को काट दिया जाता है. खतना के बाद होने वाले दर्द को बच्चियाँ को महीनों तक झेलना पड़ता हैं. कभी-कभी इसके कारण संक्रमण बीमारी फ़ैलने से उनकी मौत भी हो जाती है.

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गौरतलब है कि मुस्लिम महिलाओं के  ख़तना का यह प्रचलन अफ्रीकी और अरब देशों के कई इलाकों में आज भी जारी है, यह प्रथा सूडान, मिस्र, केन्या, यूगांडा आदि अफ्रीकी देशों में सदियों से चली आ रही है. खतना करने के बारे में तर्क दिया जाता है कि इससे महिलाओं की मासिक धर्म और प्रसव पीड़ा को कम होती है. जबकि कुछ लोगों का मानना है कि इस रिवाज़ का मकसद औरतों की यौन इच्छाओं को दबाने के लिए किया जाता है।