पुरातत्व विभाग ने किया खुलासा : ताजमहल शिवमंदिर नहीं, वह मुमताज महल का मक़बरा है
आगरा में स्थित ऐतिहासिक स्मारक ताजमहल को लेकर देश में चल रही चर्चा पर भारत सरकार और केंद्रीय पुरातत्व विभाग ने बृहस्पतिवार को अपना जवाब स्थानीय कोर्ट में दाखिल कर दिया है, जिसमें कहा गया है कि ताजमहल शिवमंदिर नहीं बल्कि मकबरा है।
यह जवाब केंद्रीय पुरातत्व विभाग ने एक याचिका पर दिया है जिसमें लखनऊ के गोमतीनगर निवासी पेशे से वकील हरिशंकर जैन और उनके पांच अन्य साथियों द्वारा स्थानीय कोर्ट में याचिका दायर की गई थी जिसमें ताजमहल की जगह शिवमंदिर होने का दावा किया गया था।
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इससे पहले भी एक व्यक्ति बीकेएसआर अय्यर ने ताजमहल का इतिहास जानने के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) से आरटीआई के जरिए सवाल पूछा था कि आगरा में स्थित ताजमहल मकबरा है या शिव मंदिर तेजोमहालय?। जिसे केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) ने केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय को इस विषय पर अपना रुख स्पष्ट करने को कहा था। तथा आदेश में सूचना आयुक्त श्रीधर आचार्यल ने कहा था कि मंत्रालय को इस मुद्दे पर जारी विवाद को खत्म करना चाहिए और इस ऐतिहासिक मकबरे के बारे में संदेह को दूर करना चाहिए।
भारत सरकार और केंद्रीय पुरातत्व विभाग को इस याचिका में पक्षकार बनाया गया है। मामले में बृहस्पतिवार को केंद्रीय पुरातत्व विभाग और भारत सरकार ने अपना जवाब दाखिल कर दिया है. जवाब में स्पष्ट किया गया है कि ताजमहल शिवमंदिर नही, बल्कि मुग़ल बादशाह शाहजहां द्वारा अपनी बेगम मुमताज महल की याद में 1632 - 1653 के बीच आगरा में यमुना नदी के किनारे बनवाया गया मकबरा है।
वहीं जवाब में यह भी कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार ताजमहल से जुड़े किसी भी याचिका की सुनवायी स्थानीय कोर्ट में नहीं की जा सकती है. इस मामले की अगली सुनवाई 11 सितम्बर को न्यायाधीश अभिषेक सिन्हा द्वारा की जायेगी।